मेहंदी ओ मेहंदी इतना बता दे कौन सा पुण्य किया है मैया ने खुश होकर के हाथों में थाम लिया है मेहंदी बोलो ना मेहंदी बोलो ना......
लाल चुनरिया लाल ही चूड़ा लाल रोली का टीका लेकिन मैंने देखा मां का हाथ है इन फीके फीके हाथों को भक्तों ने लाल किया है इसीलिए मैया ने हमको अपना मान लिया है मेहंदी बोलो ना मेहंदी बोलो ना.....
सबको अपनाया मेरी मैया हमको भी अपना लो अपना लाल समझ के अपनी गोदी में बिठा लो भक्तों यह है भेद अनोखा मैंने जान लिया है मैया अपनाएंगी जो मां की शरण गया है मेहंदी बोलो ना मेहंदी बोलो ना.....
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