तुम तो भोलेनाथ हो भंगिया पी के भूल जाते हो.....
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे अंधे को आंखें फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो......
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे कोड़ी को काया फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो.....
रोज रोज भूल ले तुम जो ऐसा करोगे निर्धन को माया फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो....
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे बाझिन को बालक फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो....
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे बालक को विद्या फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो.....
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे कन्या को घर वर फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो....
रोज रोज भोले तुम जो ऐसा करोगे भक्तों को दर्शन फिर कब दोगे तुम तो भोलेनाथ हो....
No comments:
Post a Comment