हमारे घर मैया आ गई रे , देख के मेरी दीन दशाएं मैया आ गई रे हमारे घर मैया आ गई रे....
छोड़ के सारे महल अटरिया मेरा घर है बीच बजरिया अहो भाग्य जो मेरी कुटिया मां को भा गई रे हमारे घर मैया आ गई रे....
छोड़ के सारे मेवा मिठाई दूध दही और रबड़ी मलाई बड़े चाव से इस गरीब घर रोटी खा गई रे हमारे घर मैया आ गई रे.....
न बाहन न चटक चुनरिया , मैं जानी कोई भूली डगरिया जब मैंने पूंछा नाम बताओ शिखर बता गई हमारे घर मैया आ गई रे.....
मैं बाबरी समझ न पाई , जब जानी तब पग चिन्ह पाई , तेरा भजन मगन मन करता हंस के बता गई रे हमारे घर मैया आ गई रे.....
No comments:
Post a Comment