बिन मांगे सब मिल जाता है जब भवन में आऊं मैया के.....
मैया की ज्योति निराली है , करती सबकी रखवाली है घर जगमग सब हो जाता है जब भवन में आऊं मैया के…...
मैया का भवन निराला है , पहरे पे शेर मतवाला है खाली दामन भर जाता है जब भवन में आऊं मैया के.....
मैया का रूप जो निखरा है , जैसे चांद जमीन पे उतरा है मन फूलों सा खिल जाता है जब भवन में आऊं मैया के.....
मैया की महिमा न्यारी है , वो करतीं शेर सवारी है गोदी का लाल मिल जाता है जब भवन में आऊं मैया के.....
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