छलिया छलिया छलिया श्याम छलिया बनके आए गयो रे.....
बागों गई थी फुलवा तोड़न को , धर माली का भेष श्याम छलिया बनके आए गयो रे.....
ताला गई थी साड़ी धुलन को , धर धोवी का भेष श्याम छलिया बनके आए गयो रे.....
कुयनां गई थी पानी भरन को , धर कहरा का भेष श्याम छलिया बनके आए गयो रे.....
महलों गई थी रोटी बेलन को , धर राजा का भेष श्याम छलिया बनके आए गयो रे....
मंदिर गई थी पूजा करन को , धर पुजारी का भेष श्याम छलिया बनके आए गयो रे......
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