मेरी मैया की दूर नगरिया जानो कैसे होए मिलनो कैसे होए.....
बैठ रेल में जम्मू मैं पहुंची , छा गई घोर अंधिरिया जानो कैसे होए मिलनो कैसे होए.....
बैठे बैठे कटरा पहुंची, मैंने ले ली मां की चुनरिया जानो कैसे होए मिलनो कैसे होए....
गंगा नहाए चढ़ाई चढ़ गई , मैं तो पहुंच गई ऊंची चढ़इया जानो कैसे मिलनो कैसे होए....
पैदल पैदल चढ़ती जाऊं , जय माता की कहती जाऊं , मैं आ गई आधी डगरिया जानो कैसे होए मिलनो कैसे होए....
पहुंच गई मैं मां के भवन में , मुझसे मिल गई मां की नजरिया जानो कैसे होए मिलनो कैसे होए....
दर्शन कर मैं घर को आई ,मेरी पावन हो गई उमरिया जानो कैसे हुई मिलनो कैसे होए.....
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