मैं तो मोहिनी बन के आऊंगी मथुरा और गोकुल में....
जब रे कान्हा तेरी याद आवेगी मैं तो वृंदावन में आऊंगी मथुरा और गोकुल में....
जब रे कान्हा तुम गौवें चराओ मैं तो हरी घास बन जाऊंगी मथुरा और गोकुल में....
जब रे कान्हा तुम माखन चुराओ मैं तो मटकी ही बन जाऊंगी मथुरा और गोकुल में.....
जब रे कान्हा तुम रास रचाओ मैं तो सखियों में रम जाऊंगी मथुरा और गोकुल में.....
जब रे कान्हा तुम कीर्तन में आओ मैं तो तुमको नाच नचाऊंगी मथुरा और गोकुल में....
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