श्याम ने बंसी बजाई आधी रात को सखियां आईं रे आईं भूली लाज को.....
किसी के सिर पे चुनरी नहीं है किसी के माथे बिंदिया , सुद्ध बुद्ध अपनी खोकर वो सब बनी श्याम की दुल्हनिया ऐसी लगन लगाई आधी रात को सखियां आईं रे आईं भूली लाज को.....
किसी के हाथ में चूड़ा नहीं है किसी के कान में झुमका , सुद्ध बुध अपनी खोकर वो तो श्याम की बनी जोगनिया ऐसी प्रीत लगाई आधी रात को सखियां आईं रे आईं भूली लाज को....
श्याम की मुरली की धुन सुन के भोले रुक ना पाए ,लगा के बिंदिया पहन की साड़ी श्याम से मिलने आए देवों ने फूल बरसाए आधी रात को सखियां आईं रे आईं भूली रात को....
छम छम करतीं राधा नाचे छम छम करती सखियां, हर एक संग में राधा नाचें बनके श्याम की दुल्हनिया ऐसी प्रीत लगाई आधी रात को सखिया आईं रे आईं भूली लाज को..
No comments:
Post a Comment