ज्वाला मैया का दरबार ओ अकबर देखने आया……
बिन तेल दिया ना बाती जहां ज्योत जले दिन राति , हो रही मैया की जयकार ओ अकबर देखने आया ज्वाला मैया का दरबार....
पानी के कुएं खुदवाए मंदिर में पानी भरवाए,ज्योति पानी में लहराए ओ अकबर देखने आया ज्वाला मैया का दरबार....
लोहे के तवे मँगवाए ज्योति के ऊपर लगवाए, ज्योति निकल गयी है पार ओ अकबर देखने आया ज्वाला मैया का दरबार....
अकबर को हुई हैरानी मुझे माफ करो महारानी , मैया हम बालक नादान ओ अकबर देखने आया ज्वाला मैया का दरबार....
सोने का छत्र चढ़ाया मैया का मान बढ़ाया , वहाँ पे हो रही जय जयकार ओ अकबर देखने आया ज्वाला मैया का दरबार.....
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