कन्हैया जाके मथुरा में बस गयो रे मैं मधुबन में ढूढूं किधर गयो रे.....
रात मैंने सोचा था वृंदावन जाऊंगी, वृंदावन जाऊंगी रास रचाऊंगी वो तो गोपियों के चक्कर में पड़ गयो हो रे मैं मधुबन में ढूढूं किधर गयो रे.....
रात मैंने सोचा था पनघट पे जाऊंगी , पनघट पे जाऊंगी कान्हा को बुलाऊंगी वो तो ग्वालों के चक्कर में पड़ गयो रे मैं मधुबन में ढूढूं किधर गयो रे.....
रात मैंने सोचा था गोकुल में जाऊंगी, गोकुल में जाऊंगी माखन खिलाऊंगी वो तो चोरी के चक्कर में पड़ गयो रे मैं मधुबन में ढूढूं किधर गयो रे.....
रात मैंने सोचा था मथुरा में जाऊंगी , मथुरा में जाऊंगी वहां मिल जाऊंगी वो तो कुब्जा के चक्कर में पड़ गयो रे मैं मधुबन में ढूढूं किधर गयो रे....
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