हे नाथ मुझे तुम जाने दो मुझे बाबुल के घर जाना है.....
मेरे पिता ने यज्ञ रचाया है पर हमको नहीं बुलाया है मैंने भी दिल में ठाना है मुझे बाबुल के घर जाना है.....
गौरा बिना बुलाए जाओगी सम्मान वहां नहीं पाओगी वहां पड़े पड़े पछताना है मुझे बाबुल के घर जाना है.....
भोले की मर्जी चली नहीं पीहर में गौरा पहुंच गई वहां देखा अजब नजारा है मुझे बाबुल के घर जाना है....
वहां सारे देवता आए हैं आसन पर बैठे पाए हैं भोले का आसन न पाया है मुझे बाबुल के घर जाना है.....
गुस्से में गौरा लाल हुई वह हवन कुंड में कूद गई वापस कैलाश न जाना है मुझे बाबुल के घर जाना है.....
वहां सारे देवता घबड़ाए आपस में वह सब बतलाएं राजा दक्ष न बचाने पाया है मुझे बाबुल के घर जाना है....
जब शिव शंकर को पता चला भोले बाबा का क्रोध बड़ा कांधे पर सती को उठाया है मुझे बाबुल के घर जाना है.....
ले सती को शंकर घूमने लगे फिर हाहाकार मचाने लगे विष्णु ने चक्र चलाया है मुझे बाबुल के घर जाना है....
कट कट के अंग जब गिरने लगे मैया के धाम वहां बनने लगे हम सबको शीश झुकाना है मुझे बाबुल के घर जाना है....
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