अब न समाधि लगाओ रे मेरा जियरा जलत है.....
तुम तो खाते भोले भांग धतूरा , मैं भोजन कहां पाऊं रे मेरा जियरा जलत है....
तुम तो पियो भोला भंगिया के प्याले , मैं तो चाय भी न पाऊं रे मेरा जियरा चलत है....
तुम तो सोते भोले पर्वत पहाड़ पे , मुझको नींद नहीं आए रे मेरा जियरा जलत है.....
तुम्हरे गले में भोले नागों की माला , हमको बड़ा डर लागे रे मेरा जियरा जलत है....
तुम्हरे साथ बोले चौसठ जोगनियां , हमको तनिक नहीं भायें रे मेरा जियरा जलत है....
भक्तों ने मिलकर ये गीत गाए , भोले के चरणों में शीश झुकाए , चारो ओर होय जय जयकार रे मेरा जियरा जलत है......
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