महलों में नहीं कुटिया में नहीं जहां याद करो भोले बाबा वहीं.....
क्यों पाप कमा के धन जोड़ा क्यों अपनों से रिश्ता तोड़ा सोने में नहीं चांदी में नहीं जहां याद करो भोले बाबा वहीं.....
क्यों छुप कर जोड़ रहा माया तुझे देख रहा ऊपर वाला कंकड़ में नहीं पत्थर में नहीं जहां याद करो भोले बाबा वहीं.......
पाताल गगन और जल थल में भक्तों की सुनते पल भर में गंगा में नहीं जमुना में नहीं जहां याद करो भोले बाबा वहीं......
यह सब भोले की माया है इसे कोई समझ नहीं पाया है जादू में नहीं टोना में नहीं जहां याद करो भोले बाबा वहीं.....
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