कर जोर खड़ीं सीता माला पहनने को मन मचल रहा उनका दुल्हन बन जाने को....
सीता के स्वयंवर में राजा थे बड़े बड़े जयमाल लिए सीता पहुंची जहां राम खड़े....
सीता की अपेक्षा में लंबे थे रघुराई झुक जाओ मेरे रघुवर माला पहनने को....
हम सूर्यवंशी हैं मर्यादा ना तोड़ेंगे एक नारी के आगे हम सिर ना झुकाएंगे.....
माला लेकर सीता लक्ष्मण के पास गईं समझाओ मेरे भैया माला पहनाने को....
मेरे समझाने पर भैया न समझेंगे चरणों में झुक जाओ वो तुमको उठायेंगे मौका मिल जाएगा माला पहनाने को....
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