अवध नगरी सजा दो आज मेरे श्री राम आए हैं बरस चौदह बिताकर के नगर अपने वो आए हैं.....
था मांगा वर कैकेई ने दिया बनवास रामा को , वचन दशरथ दिए थे जो निभाकर आज आए हैं अवध नगरी सजा दो आज.....
चले थे संग लखन सीता धरा का भाग्य है जीता , असुर से मुक्त करके वो धरा को आज आए हैं अवध नगरी सजा दो आज.....
है तारा केवट भैया को उबारा मां अहिल्या को , जो करते भक्तों का उद्धार वो पालनहार आए हैं अवध नगरी सजा दो आज....
नगर वासी सभी खुश हैं जले घर घर में दीपक हैं , अवधपुर के बने राजा सिखखने धर्म आए हैं अवध नगरी सजा दो आज.....
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