यशोदा बांध ले रहली कान्हा के ओखरिया में प्रेम के रसरिया में ना.....
जब जब बांधे यशोदा माई रसरी खंड खंड हो जाई, रसरी आटत नाहीं कान्हा के कमरिया में प्रेम के रसरिया में ना...
गैयावाली ओरहन लेके आईं इनको बरजो यशोदा माई, दही चाटत रहले हमरी कमोरिया में प्रेम की रसरिया में ना....
सखियां ओरहन लेके आईं इनको रोको यशोदा माई यह तो झांकत रहले हमरी कोरियां में प्रेम की रसरिया में ना...
यशोदा बांध ले रहली कान्हा के ओखरिया में प्रेम की रसरिया में ना
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