चाहे फाँसी लगे या लगे हथकड़ी, मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ीं.....
सखी गोकुल नगरिया को जाऊंगी मैं प्रेम घर उनके दर पे बनाऊंगी मैं वंहा कीर्तन करूँगी खड़ी की खड़ी मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ीं....
तेरी बांकी अदा ने किया बावरे तेरे नैनों मे घर है मेरा सांवरे तेरे नैनो से नैना मिलें हर घड़ी मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ीं.....
मेरी विनती बिहारी जी सुन लीजिए अपने चरणों की दासी बना दीजिए छोड़ के सारे बन्धन शरण में पड़ी मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ीं
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