नन्ही नन्ही बुंदिया रे सावन का मेरा झूलना...
एक झूला झूला मैंने बाबुल के राज में मैया के आंचल में सावन में मेरा झूलना...
एक झूला झूला मैंने सखियों के राज में छोटी बड़ी गुड़ियां रे गुड़ियों से मेरा खेलना...
एक झूला झूला मैंने बहना के राज में छोटी बड़ी सुइयां रे जाली का मेरा काढ़ना...
एक झूला झूला मैंने सासू जी के राज में सुबह सुबह उठना रे चक्की का मेरा पीसना....
एक झूला झूला मैंने भाभी के राज में गोद में भतीजा रे गली में मेरा घूमना....
एक झूला झूला मैंने भैया के राज में हरी हरी मेहंदी रे बगिया से तोड़ लाना....
एक झूला झूला मैंने सैंया जी के राज में करके सोलह सिंगार सावन में संग झूलना....
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