कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल सुपर भजन🌹एक दिन रुक्मणी ने दिया था गरम कृष्ण को दूध आनंद आयेगा सुने🌹

 

एक दिना रुक्मिणी ने दिया था गरम कृष्ण को दूध ,गरम दूध ने जब हृदय में करी उछाल और कूद तो मुख से निकला राधे बोलिये जय श्री राधे...

है राधा में क्या ऐसा जो मुझमे नहीं है साजन कभी ले मेरा नाम पुकारो क्या कमी है मुझमे साजन करती हूँ मैं दिलो जान से तुमसे प्रेम अटूट कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे...

तुम नहीं मिली राधा से एक बार देख लो मिलके जब करोगी उनके दर्शन तो मिटेंगे शिकवे दिल के आ जायेगा समझ में खुद ही क्या सच है क्या झूठ बड़ी है प्यारी राधे बोलिये जय श्री राधे कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे...

श्री राधा से मिलने चली रुक्मणि फकत अकेली देख कक्ष के बहार एक नारी नै नवेली समझ के उसको राधा रानी गई चरणों में टूट और बोली जय राधे तुम्हारे जय हो राधे कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे...

मैं दासी हूँ राधा की न हूँ मैं राधा रानी छह द्वार पार करने पर तुम्हे मिलेंगी राधा रानी चली जाओ तुम एकदम सीधे अपनी आँखें मूँद वही रहती हैं राधे किशोरी जय श्री राधे कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे....

रह गई रुक्मणि हैरत में जब महल में देखी राधा छाले पड़े हुए थे उसके तन पे बड़े ही ज्यादा किसी किसी छाले से बह रही थी पानी की बूँद लगा रही मरहम राधे बोलिये जय श्री राधे कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे...

एक तेरे कारण रुक्मण ये हाल हुआ है मेरा कल वाले गर्म दूध से तन जला हुआ है मेरा कहे अनाड़ी कभी न देना गरम कृष्ण को दूध रहे ह्रदय में राधे बोलिये जय श्री राधे कहाँ से आ गई राधे बोलिये जय श्री राधे 




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