मायके चली मायके चली संभालो सिलबटना मायके चली बाबुल का छोड़ आई घर और अंगना तुमने थमाया मेरे हाथों में बटना पीहर चली पीहर चली संभालो सिलबटना पीहर चली...
हारी पिया तेरी भंगिया से हारी पीहर की कर ली मैंने तैयारी मैया के चली मैं तो बाबुल की गली संभालो सिलबटना मायके चली...
बाबुल के घर में उत्सव है भारी तीन लोकन में चर्चा है न्यारी छोड़ चली मैं तो छोड़ चली संभालो सिलबटना मायके चली....
भोले ने गौरा को समझाया जाओ न गौरा मेरा दिल घबड़ाया अच्छी नहीं अच्छी नहीं तेरे मायके की गलियां अच्छी नहीं...
गौरा ने भोले की एक न मानी पियर की हो गई वो तो दीवानी चली गई वो तो चली गई संभालो सिलबटना मायके चली...
No comments:
Post a Comment