कलयुग सज धज के आ गयो धर्म धरती में समा गयो रे
माता पिता से मुख से न बोलें कड़वे बोल कलेजा चीरें मरते ही गंगा बहा दियो धर्म धरती में समा गयो रे...
बहन भांजी को कभी ना बुलायें सास ससुर को तीर्थ कराएं साली को पिज्जा खिलाएं धर्म धरती में समाए गयो रे...
देवी देवता कबहुं न पूजें साधु संत की सेवा न जाने फोन पे टाइम बिताएं धर्म धरती में समाए गयो रे...
कथा भागवत कभी न सुनते राम नाम को कभी न लेते ठेका पे लाइन लगाएं धर्म धरती में समाए गयो रे...
पंडित बुलाए कथा करवाएं फिर पंडित को ढोंगी बताएं बिना दक्षिणा भगाएं धर्म धरती में समाए गयो रे...
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