तेरा दरबार निराला बिन मांगे देने वाला, दुनिया की खुशियां अपार श्याम बड़े हैं दातार...
आये जो दर पे तेरे श्रद्धा का हार ले के, झोली भर कर ले जाता तेरा आधार ले के मैं भी आया हूँ दाता आशा अपार लेके बिगड़ी बनादे मेरी किस्मत चमका दे मेरी मेरी भी सुन ले पुकार श्याम बड़े हैं दातार..
दुनिया बनाने वाला साँचा करतार तू है, सबको खिलाने वाला जग का भरतार तू है तू ही श्वासों की डोरी जीवन सिंगार तू है मैं हूँ तेरा आभारी तेरे दर का हूँ भिखारी यूँ आया हाथ पसार श्याम बड़े हैं दातार...
चरणों में रहता तेरे तुमसे ना दूर हूँ मैं, कैसे भुला दूँ तुमको तेरा ही नूर हूँ मैं तेरी सेवा में हरदम हाजिर हुजूर हूँ मैं तेरी मैं करुणा पाऊँ भवसागर से तर जाऊँ मैं तेरे चरण पखार श्याम बड़े हैं दातार...
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