पर्वत पे उसके छाई बहार भक्त खड़े मां तेरे द्वार बड़ी लखदाती है मेरी शेरावाली मां सबकी बिगड़ी बनाती है मेरी शेरावाली मां..
ऊंचे नीचे पर्वत जहां बहती है गंगा की धारा दर है तेरा ऐसा जहां झुकता है संसार सारा दर पे तेरे जो भी आये चिंता करने वाली है मेरी शेरावाली मां...
बीच भंवर में देखो मेरी आन पड़ी है ये नैया आके पार लगा दो मैया बनकर के आप खिबैया आकर के भक्तों की नैया पार लगाती है मेरी शेरावाली मां...
द्वार खड़ा पुकारे मैया तेरा ये लाल भिखारी दीन दुखी जो आये मां के चरणों में आके पुकारी रहम करो मेहर करो झोली भर देती है मेरी शेरावाली मां
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