मोहन कहा जाए या माधव कहा जाए बोलो सांवरिया तुम्हें क्या कहा जाए...
मैं तो घास फूस की कुटिया बनाऊंगी वामें गिरधर का मंदिर बनाऊंगी अपने नटवर नागर अपने नटवर नागर को बैठाऊंगी मोहन कहा जाए...
मैं तो माटी से गमला बनाऊंगी वामें तुलसी का पेड़ लगाऊंगी अपने गिरधर गोपाल अपने गिरधर गोपाल को चढ़ाऊंगी मोहन कहा जाए...
मैं तो माखन और मिश्री मंगाऊंगी अपने गिरधर को भोग लगाऊंगी लेकर हाथ करताल मुख से गोविंद गोपाल मैं गाउंगी मोहन कहा जाए...
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