राम के रंग रंग लीन्ही मेरी कोरी चुनरिया राम कृपा जब कीन्ही मेरी कोरी चुनरिया
यह चुनरी मोह माया में फंस गई , काम क्रोध कांटो से उलझ गई , तार तार कर दीन्ही मेरी कोरी चुनरिया राम के रंग रंग लीन्ही मेरी कोरी चुनरिया
राम भजन का नशा अजब है , ऐसा नशा चढ़े तो ही गजब है , ऐसी सुधा हमने पीन्ही मेरी कोरी चुनरिया मैं अज्ञान हूं निपट अनाड़ी , राम भरोसे छोड़ दी गाड़ी , बात भक्तों ने कह दीन्ही मेरी कोरी चुनरिया
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