दिया खंभ में बांध कन्हैया मेरी यशोदा मैया ने मैया ने चोरी न छोड़ी कन्हैया ने
जो कान्हा तुम्हें गर्मी लगत है , पानी भरो है जमुना में जमुना में चोरी ना छोड़ी कन्हैया ने
जो कान्हा तुम्हें भूख लगात है माखन धरो मलैया में मलैया में चोरी ना छोड़ी कन्हैया ने
जो कान्हा तुम्हें प्यास लगत है पानी धरो गिलसिया में गिलसिया में चोरी न छोड़ी कन्हैया ने
जो कान्हा तुम्हें तलब लगत है लौंग इलायची है डलिया में डलिया में चोरी ना छोड़ी कन्हैया ने
जो कान्हा तुम्हें सर्दी लगत है कंबल धरो अटरिया में अटरिया में चोरी ना छोड़ी कन्हैया ने
No comments:
Post a Comment