सुना लगे सारा देश वृंदावन कुटिया बनाऊंगी धर जोगिन का भेष श्याम दर अलख जगाऊंगी
मैं गिरधर की गिरधर मेरे ये हैं जन्म जन्म के फेरे , संतन की प्रसादी लेके यमुना जल में नहाऊंगी वृंदावन कुटिया बनाऊंगी...
राधा बल्लभ की छवि न्यारी मन में भाय गयो रसिक बिहारी , झांकी झरोखे में बांके बिहारी निशदिन नैना लड़ाऊंगी बृंदावन कुटिया बनाऊंगी...
बांके बिहारी से करके यारी छोड़ दयी मैंने दुनियादारी , बंसीवट को लेके झोका गोपेश्वर दूध चढ़ाऊंगी वृंदावन कुटिया बनाऊंगी....
गोपीनाथ और मदन मोहन जी सेवा कुंज और राधा रमण जी , निधवन की परिक्रमा करके गोविंद के गुण गाऊंगी वृंदावन कुटिया बनाऊंगी..
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