ग्यारस मैया ने लियो गऊ रुप परीक्षा ले रहीं दुनिया की ग्यारस मैया ने....
पहली परीक्षा लेने गई हैं वो पंडित के पास गौ माता खड़ी हैं तेरे द्वार भोजन पानी करवा दो , अंदर सो वो पंडित बोला सुन
गऊ मां मेरी बात मेरा भोजन नहीं है तैयार आश किसी और से करो , बाहर से गौ माता बोली सुन पंडित मेरी बात पोथी पत्रा रहेंगे तेरे हाथ तू घर घर मांगता फिरे ग्यारस मैया ने....
दूजी परीक्षा लेने गई हैं वो ठाकुर के पास गौ माता खड़ी हैं तेरे द्वार भोजन पानी करवा दो , अंदर से वो ठाकुर बोला सुन गऊ
मां मेरी बात मेरा भोजन नहीं है तैयार आश किसी और से करो , बाहर से गौ माता बोलीं सुन ठाकुर मेरी बात तेरे हाथ रहेंगे हथियार नर्क तेरे द्वार पर रहे ग्यारस मैया ने....
तीजी परीक्षा लेने गई हैं वो बनिए के पास गौ माता खड़ी हैं तेरे द्वार भोजन पानी करवा दो , अंदर से वो बनिया बोला सुन गऊ
मां मेरी बात मेरे छप्पन भोग तैयार भोजन भर पेट करो मैया सेवा करूं दिन रात आशीष मुझे दे देना , बाहर से गौ माता बोलीं सुन बनिए मेरी बात तेरे भरे रहे भंडार लक्ष्मी का घर में बास रहे ग्यारस मैया ने...
जो ग्यारस को तुलसी पूजे उसका फल मिल जाए , सच्चे मन से ग्यारस गावे और सत्संग को जाए , जो ग्यारस को व्रत करे और द्वादशी करे दान , बाको जन्म सफल हो जाए बैकुंठ द्वार खुले मिले ग्यारस मैया ने..
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