पापकुंशा एकादशी व्रत के दिन लाजबाव भजन🌹क्या मुझ पर गुजरती है पूछो ये बताने के काबिल नहीं🌹

 

 

क्या मुझपे गुजरती है पूछो वो बताने के काबिल नहीं है नहीं है... 

प्रेम की अर्जी दिल में लगा कर दूर नजरों से वो हो गए हैं , श्याम ने इस कदर गम दिए हैं दुख उठाने के काबिल नहीं है क्या मुझपे गुजरती है पूछो... 

बनी उनके विरह में वियोगिन रोते रोते नयन जल भी सूखा , चाहती हूं उन्हें भूल जाऊं पर भुलाने के काबिल नहीं है क्या मुझपे गुजरती है पूछो... 

कभी उनके कभी वो हमारे अभी क्यों कर रहे हैं किनारे , चाहती हूं उन्हें भूल जाऊं प्यार पाने के काबिल नहीं है क्या मुझ पे गुजरती है पूछो 




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