क्या मुझपे गुजरती है पूछो वो बताने के काबिल नहीं है नहीं है...
प्रेम की अर्जी दिल में लगा कर दूर नजरों से वो हो गए हैं , श्याम ने इस कदर गम दिए हैं दुख उठाने के काबिल नहीं है क्या मुझपे गुजरती है पूछो...
बनी उनके विरह में वियोगिन रोते रोते नयन जल भी सूखा , चाहती हूं उन्हें भूल जाऊं पर भुलाने के काबिल नहीं है क्या मुझपे गुजरती है पूछो...
कभी उनके कभी वो हमारे अभी क्यों कर रहे हैं किनारे , चाहती हूं उन्हें भूल जाऊं प्यार पाने के काबिल नहीं है क्या मुझ पे गुजरती है पूछो
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