जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी मैंने बाज़ी लगाई है जान की
मुझको परवा नहीं अपनी जान की, मैं चुरा लाया मैं राम की जानकी तेरा बेटा जला मेरी लंका जली अब ना वापिस करूँगा मैं जानकी...
मेरे महलों की रानी बने जानकी , तेरे पास बिठाऊंगा मैं जानकी मेरे मन में बसी उस दिन जानकी जब स्वयंवर में देखी थी जानकी....
पार होगा वो ही जिसे पकड़ेंगे राम, जिस को छोड़ेंगे पल भर में डूब जाएगा मुझको चिंता नहीं अपनी जान की मुझको चिंता लगी है उसकी जान की मैंने खायी कसम अपनी जान की मरते दम तक ना दूंगा मैं जानकी...
No comments:
Post a Comment