जीवन की सच्चाई का भजन जरूर सुनें🥀अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है🥀

 

 

सतयुग में नहीं मिलता कलयुग में मिलता है अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है 

एक फूल वो है मंदिर में चढ़ता है एक फूल वो है अर्थी पे चढ़ता है दोनों का माली एक है बस अंतर इतना है अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है 

एक ईंट वो है मंदिर में लगती है एक ईंट वो है नाली पे लगती है दोनों की मिट्टी एक है बस अंतर इतना है अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है 

एक कपड़ा वो मंदिर में चढ़ता है एक कपड़ा वो है अर्थी पे चढ़ता है दोनों का धागा एक है बस अंतर इतना है अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है 

एक बेटा वो है मंदिर में आता है एक बेटा वो है ठेके पे जाता है दोनों की माता एक है बस अंतर इतना है अपने अपने कर्मों का फल सबको मिलता है 




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