पर्वत पे बैठी मां ध्यानू से झगड़ी तू लाया क्यों न रे मेरी लाल चुनरी
जरा धीरे धीरे बोल मेरे भोले सुन लेंगे जरा हौले हौले बोल गौरा माता सुन लेंगी कैलाश में दे दूंगा तेरी लाल चुनरी पर्वत पे बैठी मां...
जरा धीरे धीरे बोल मेरे राम सुन लेंगे जरा हौले हौले बोल सीता माता सुन लेंगी अयोध्या में दे दूंगा तेरी लाल चुनरी पर्वत पे बैठी मां..
जरा धीरे धीरे बोल मेरे श्याम सुन लेंगे जरा हौले हौले बोल राधा रानी सुन लेंगी गोकुल में दे दूंगा तेरी लाल चुनरी पर्वत पे बैठी मां...
जरा धीरे-धीरे बोल मेरे भगत सुन लेंगे जरा हौले हौले बोल सारी संगत सुन लेगी कीर्तन में दे दूंगा तेरी लाल चुनरी पर्वत पे बैठी मां..
No comments:
Post a Comment