जच्चा तो मेरी शरद पूनम का चांद लली तो मेरी फूलों में जैसे गुलाब
महलों के नीचे नीचे सासू खड़ी हैं हाथ लिये चरूये का सामान
महलों के नीचे नीचे जेठानी खड़ी हैं हाथ लिये लड्डू का सामान
महलों के नीचे नीचे ननदी खड़ी हैं हाथ लिये काजल का सामान
महलों के नीचे नीचे देवर खड़े हैं हाथ लिये मुरली का सामान
महलों के नीचे नीचे पंडित खड़े हैं हाथ लिये पूजा का सामान
महलों के नीचे नीचे सखियां खड़ी हैं हाथ लिये कीर्तन का सामान
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