कि सोच के कन्हैया तूने बट्टा सुटिया कि सोच के , तेरे बट्टे दे नाल मेरा घड़ा टूटिया कि सोच के
घड़े ते बगैर श्याम घर कैसे जाउंगी सासू को कैसे मुंह मैं दिखाऊंगी घर मेरे पवाड़ा वेतू या सुटिया कि सोच के
सासू तैने मार दी ननद तैने मार दी मार मार तैने मेरा सीना ओह साढ़ दी घर वाले श्याम मैनूं बड़ा कुटिया कि सोच के
रोज रोज कहंदा मैंने यमुना ते आऊंगा यमुना ते आके तैनूं बांसुरी सुनाऊंगा तेरे लारे आ श्याम मैनूं मर सुटिया कि सोच के
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