अवध अनाथ किया वन को जाने वाले ने सिया सुकुमार लखन राम भोले भाले ने
यज्ञ मुनिवर को लखन राम ने कराई थी ताड़का मार के गौतम की नारी तारी थी राम ने श्याम ने धनुआं चलाने वाले ने सिया सुकुमार लखन राम भोले भाले ने
जनक के बाग में सखियों के मन चुराये थे सभा के मध्य मुनियों के मन को भाये थे सिया जी ब्याह ली धनुआं उठाने वाले ने सिया सुकुमार लखन राम भोले भाले ने
रानी कौशल्या के प्राणों से आप प्यारे थे राजा दशरथ के नैनों के गुल हजारे थे दुखी रनवास किया वन को जाने वाले ने सिया सुकुमार लखन राम भोले भाले ने
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