शिव तो ठहरे संन्यासी गौरा पछताओगी
ऊंचे ऊंचे पर्वत पर शिव जी का डेरा है , नंदी की सवारी गौरा कैसे कर पाओगी
आगे न कोई पीछे गौरा तेरे दूल्हे के , दिल वाला बात गौरा तुम किसको सुनाओगी
महलों में पली गौरा राज दुलारी बन के , शिव जी को भांग घोट कर कैसे पिलाओगी
गौरा बोलीं सखियों से तुम क्या जानो री , जैसा वर पाया है वैसा तुम कहां पाओगी
No comments:
Post a Comment