कैलाश नगरिया के ओ रहने वाले बाबा डमरू बजायें ओ भोलेनाथ
भोले के मस्तक पे चंदा बिराजे शीष गंगा की धार ओ भोलेनाथ
कानों में भोले के बिच्छू ततैया गले सर्पों का हार ओ भोलेनाथ
हाथों में भोले के त्रिशूल बिराजे डमरू की तान ओ भोलेनाथ
अंगो में भोले के भस्मी रमाये ओढ़े मृगा की छाल ओ भोलेनाथ
भोले के संग में गौरा बिराजें गोदी गणपति लाल ओ भोलेनाथ
भोले के पैरों में घुंघरू बिराजे ताता थाय ओ भोलेनाथ
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