पावन परम पुनीता जपो रे मन श्री राम सीता
चित्रकूट की महिमा निराली , वास करो जहां अवध बिहारी समय सुखों में बीता
तुलसी वाल्मीकि गुन आगर , राम नाम से भर लई गागर भर ले तू जल्दी से रीता
केवट ने हरि चरण धुलाये , राम कृपा से भाग्य जगाये क्यों तू आलस्य में जीता जपो रे मन श्री राम सीता
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