अपनी जननी का आदर कर न सके जग जननी🥀भावुक कर देने वाला मां भजन नहीं सुना होगा अभी तक🥀

 

 

अपनी जननी का आदर तो कर न सके जग जननी मनाने से क्या फायदा 

खुद गीली रही तुमको सूखा किया , खुद भूंखी रही तुमको भोजन दिया , ऐसी जननी को भोजन करा न सके फिर भंडारे लगाने से क्या फायदा 

कितने देव मनाये थे तेरे लिए , तेरे सुख के लिए वो तड़फती रही , ऐसी जननी को सुख तुम दे न सके जगराते कराने से क्या फायदा 

मैं तो दिन रात तेरे ही संग में रही , तेरे संग में रही पर तू देख न सका , मेरे रूप का आदर तो कर न सके फिर मूरत बनाने से क्या फायदा

 

 


Share:

No comments:

Post a Comment