सतगुरु सतगुरु कहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें शीष दिया है , शीष झुकाते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें नैन दिये हैं तुम दर्शन करते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें कान दिये हैं , तुम ज्ञान सुनते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें हाथ दिये हैं तुम दान करते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें पैर दिये हैं , तुम तीर्थ करते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
सतगुरु ने तुम्हें देह दयी है तुम सेवा करते रहिए तेरे लगते नहीं रुपइये
No comments:
Post a Comment