बीती बातों में उमरिया भजन बिना
बालापन खेलों में गंवाया खूब करी नादानी , आई जवानी की मनमानी चाल चले मस्तानी सीधी चले न डगरिया भजन बिना
मनचाही शादी कर बेटा बहू ब्याह घर लाया , हाथ पकड़ के चले अकड़ के कुल मर्यादा मिटाया घूमे शहर बजरिया भजन बिना
चन्द रोज में बेटा बेटी ससुर दमाद कहाये , बेटा से बन गये बाप दादा का नम्बर आये झुकी झुकी रे कमरिया भजन बिना
एक दिन राम नाम सत्य हो गयो हो गई खत्म कहानी , सगे सम्बन्धी रो रहे ठाड़े बोल सके न बानी बंद हो गई नजरिया भजन बिना
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