ओ मेरे बालाजी तेरे दर पे रौनक हो रही है
दादुर मोर पपीहा बोले कोयल कू कू करती है उमड़ घुमड़ के बादल आवें प्रेम की वर्षा हो रही है
लाल लंगोटा हाथ में सोटा राम नाम की माला है कांधे मूंज जनेऊ साजे लालम लाला हो रही है
ब्रम्हा विष्णु तुम्हें मनायें शंकर ध्यान लगायें हैं नारद शारद करें स्तुति जय बाबा की हो रही है
अंखियां मेरी तरसें बाबा दर्शन तेरा पाने को कहां छिपे बैठे हो बाबा ढ़ूड़म ढ़ाड़ी हो रही है
सब भक्तों ने ढूंढ निकाला सालसर में बैठे हो मंगल शनि को लगता मेला मनसा पूरी हो रही है
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