ओ काली तेरा रूप बड़ा विकराला
जब रे कालका नैना खोलतीं नैनों से ज्वाला ओ काली तेरा रूप बड़ा विकराला
जब रे कालका जीभा खोलतीं जीभा का रंग हुआ लाला ओ काली....
जब रे कालका केश खोलतीं केश है काला काला ओ काली....
जब रे कालका रण में कूदतीं खड़ग चलायें और भाला ओ काली....
जब रे कालका गलियों में आतीं मटक मटक चलें चाला ओ काली.....
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