हैं वीर बड़े हनुमान इनके जैसा न कोई
बालकपन में हनुमत ने सूरज को मुख में दबाया , तब घबड़ाया संसार इनके जैसा न कोई
सिया खोज करन को भेजा लंका में पंहुचे कपीसा , सोने की लंका दयी जलाय इनके जैसा न कोई
लक्ष्मण को मूर्छा आई हनुमत से बूटी मंगाई , पूरा पर्वत लाये उठाय इनके जैसा न कोई
जब राम अवधपुर आये वीर बजरंग साथ में आये , चरणों में बैठे हनुमान इनके जैसा न कोई
भक्तों की रक्षा करते पल में संकट हर लेते , सब विपदा देते मिटाय इनके जैसा न कोई
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