ऊंचे पर्वत पे लगायो दरबार हमारी वैष्णों मैया ने
ऊंचे पर्वत की चोटी पर लीन्हो भवन बनाय बजरंग बैठाये भवन के अंगार हमारी वैष्णों मैया ने
ऊंचे पर्वत की चोटी पर लाल ध्वजा फहराय अंग लंहगा चूनर लहराय हमारी वैष्णों मैया के
हाथन मेहंदी पैरन महावर शोभा बरन न जाय किये सब सोलह श्रृंगार हमारी वैष्णों मैया ने
जो भी तेरे दर पे आये मनवांछित फल पाये भर दै खुश हो सभी के भंडार हमारी वैष्णों मैया ने
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