तुम मान जाओ भामिनी उदास करो न चौदह वर्ष को राम को वनवास करो न
अर्पण करूं मैं तन मन संसार मांग ले तू मांग हीरा मोती धन भंडार मांग ले देता वचन हूं रानी विश्वास करो न चौदह वर्ष को राम को वनवास करो न
वाली उमर है कष्ट नहीं झेल पायेंगे कांटों में रहकर जिंदगी कैसे बितायेंगे वन दूर है राम हमसे अलग करो न चौदह वर्ष को राम को वनवास करो न
कोमल है बहुत सीता वो संग जायेगी कैसे रहेगी वन में वो सह न पायेगी मेरी बात मानो रानी अब जिद करो न चौदह वर्ष को राम को वनवास करो न
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