हाय लक्ष्मण ये तुमने क्या किया मेरे पति का शीष लेकर चले गये
मांग का सिन्दूर अभी छूटा नहीं माथे की बिंदिया अधूरी रह गई
हाथों की मेंहदी अभी छूटी नहीं हाथों की चूड़ी अधूरी रह गई
एड़ी की महावर अभी छूटी नहीं पैरों के बिछुआ अधूरे रह गये
हैलो दोस्तों हरी रस माला में आपका स्वागत है | मेरा नाम नमता भदौरिया है | मैं नई दिल्ली में रहती हूँ | अगर आपको मेरे भजन पसंद आये तो लाइक, शेयर, कमेंट जरूर करे |
हाय लक्ष्मण ये तुमने क्या किया मेरे पति का शीष लेकर चले गये
मांग का सिन्दूर अभी छूटा नहीं माथे की बिंदिया अधूरी रह गई
हाथों की मेंहदी अभी छूटी नहीं हाथों की चूड़ी अधूरी रह गई
एड़ी की महावर अभी छूटी नहीं पैरों के बिछुआ अधूरे रह गये
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