जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है अभी हमने जी भर के देखा नही है
कैसी घड़ी आज जीवन की आई अपने ही प्राणो की करते विदाई अब ये अयोध्या हमारी नहीं है अभी हमने जी भर कर के देखा नहीं है
माता कौशल्या की आंखों के तारे दशरथ जी के राज दुलारे कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है अभी हमने जी भर कर के देखा नहीं है
जाओ प्रभु अब समय हो रहा है घरों का उजाला भी कम हो रहा है अंधेरी निशा का ठिकाना नहीं है अभी हमने जी भर कर के देखा नहीं है
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