ओढ़ ले चुनरी ओ मैया ओढ़ ले चुनरी मैं तो तेरे लिए लेके आई लाल चुनरी
ऊंचे पर्वतों पे मैया तेरा है बसेरा तेरे ही चरणों में मैया शाम सबेरा ओ अब तो डाल दे नजरिया मैया ओढ़ ले चुनरी
तू ही कर्ता तू ही भर्ता तू ही पालनहारी आंचल में छुपा ले मैया शरण तुम्हारी अब तो ले ले मां खबरिया मैया ओढ़ चुनरी
नवमी और अमावस्य को मैं मंगल पाठ कराऊंगी धूप दीप नैवेद्य चढ़ा के मां को मैं मनाऊंगी ओ अब तो आके भोग लगा ले मैया ओढ़ चुनरी
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