कैसे बैठो रे आलस्य में तोसे राम भजन न होय , तोसे राम भजन न होय तोसे कृष्ण कहो न जाये कैसे बैठो रे आलस्य में तोसे राम भजन न होय
भोर भयो मलमल मुख धोयो दिन चढ़ते ही पेट टटोलो शाम कीमती क्यों तू खोये बार बार न आय कैसे बैठो रे आलस्य में तोसे राम भजन न होय
बातन बातन सब दिन खोयो सांझ भई पलका पर सोयो सोवत सोवत उम्र बीत गई काल शीष मड़राय कैसे बैठो तोसे राम भजन न होय
लख चौरासी तू भरमायो बड़े भाग्य से नर तन पायो अब न बंदे कर मनमानी हीरा जन्म है पाये कैसे बैठो रे आलस्य में तोसे राम भजन न होय
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